तीन साल में चार गुना तक बढ़ी सीटेट कैंडिडेट्स की संख्या, 2019 में 22% ही हुए क्वालिफाय

23 सितंबर 2019 को मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने ट्वीट कर बताया कि केंद्र सरकार के स्कूलों में 14000 और राज्य सरकार के स्कूलों में शिक्षकों के लगभग 84000 पद खाली हैं, जिनमें से केंद्रीय स्कूलों के 14000 पद अधिसूचित हैं यानी इन पर जल्द ही भर्ती की जाएगी। सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) ने जुलाई 2020 में होने जा रही सीटेट परीक्षा का ऑफिशियल नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। 


केंद्र सरकार के संचालित स्कूलों में मिलेगी नौकरी


इस परीक्षा के माध्यम से केंद्र सरकार द्वारा संचालित केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय, सर्वोदय विद्यालय, केंद्रीय तिब्बत स्कूल आदि में शिक्षक के तौर पर नौकरी करने का मौका कैंडिडेट्स को मिलेगा। वे युवा जो टीचिंग में अपना कॅरिअर बनाना चाहते हैं, उनके लिहाज से यह परीक्षा काफी महत्वपूर्ण है। ऐसे में जरूरी है कि ऐसी स्ट्रैटजी तैयार की जाए जो आपको कटऑफ के बैरियर के पार पहुंचा सके। कैंडिडेट्स की कुछ ऐसी ही मुश्किलों को आसान बना रहे हैं एग्जाम एक्सपर्ट प्रशांत सिंह और महेंद्र कुमार।


प्राइमरी के लिए पेपर 1 और एलिमेंट्री लेवल के लिए है पेपर 2
परीक्षा में दो पेपर शामिल हैं, पेपर-1 और पेपर-2, लेकिन ये दो चरण नहीं हैं। पेपर-1 उन कैंडिडेट्स को क्वालिफाय करना होता है जो प्राइमरी स्तर (कक्षा पहली से पांचवीं) के शिक्षक बनने की पात्रता हासिल करना चाहते हैं। वहीं एलिमेंट्री लेवल (कक्षा छठवीं से आठवीं) के शिक्षक की पात्रता हासिल करने के लिए पेपर-2 क्वालिफाय करना होता है। कैंडिडेट्स दोनों पेपर्स में भी शामिल हो सकते हैं।


पेपर 1- पिछले पांच सालों का ट्रेंड और स्ट्रैटजीचाइल्ड डेवलपमेंट एंड पेडागोजी
इस सेक्शन से 6-11 आयु वर्ग के स्टूडेंट्स से जुड़े कुल 30 सवाल आते हैं। अधिकतर सवाल शिक्षा मनोविज्ञान से जुड़े होते हैं। ट्रेंड बताता है कि स्पेशल चिल्ड्रन्स से जुड़े 5-8 सवाल परीक्षा में हर साल जरूर पूछे जाते हैं जबकि स्टूडेंट्स तैयारी के समय इन सवालों पर ही ध्यान नहीं देते। बेहतर स्कोर के लिए शिक्षा मनोविज्ञान की किसी एक किताब से पहले सिलेबस पूरा करें। इसके बाद मॉक टेस्ट देना शुरू करें।


लैंग्वेज 1 और लैंग्वेज 2 
लैंग्वेज 1 और लैंग्वेज 2 दो अलग-अलग सेक्शन हैं। दोनों में 30-30 सवाल आते हैं। इनमें से 50% सवाल रीडिंग कॉम्प्रिहेन्शन और 50% सवाल पेडागोजी के होते हैं। उसी भाषा से जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं, जिसे कैंडिडेट ने लैंग्वेज 1 और लैंग्वेज 2 के रूप में चुना है। अधिकतर कैंडिडेट्स लैंग्वेज 1 के रूप में हिंदी और लैंग्वेज 2 के रूप में इंग्लिश को ही चुनते हैं। अगर 12वीं स्तर की प्रतियोगी परीक्षा से तुलना की जाए, तो इस परीक्षा का रीडिंग सेक्शन आसान होता है। 


मैथेमैटिक्स  
इस सेक्शन में 15 सवाल विषय से संबंधित और 15 पेडागोजी के आते हैं। पिछला ट्रेंड बताता है कि पेपर-1 के मैथेमैटिक्स सेक्शन में एनसीईआरटी के सिलेबस से ही सवाल पूछे जाते हैं। यानी पहली से 6वीं कक्षा तक के मैथेमैटिक्स के सभी कॉन्सेप्ट्स की तैयारी करना काफी होगा। मैथ्स में पेडागोजी के लिए स्टूडेंट्स का रुझान बढ़ाने से जुड़े सवालों पर अधिक फोकस करना चाहिए।


एन्वायरनमेंट 
पेपर-1 के एन्वायरनमेंट सेक्शन में फैमिली एंड फ्रेंड्स से जुड़े सवाल सबसे अधिक पूछे जाते हैं। इसमें रिलेशनशिप्स, वर्क एंड प्लेस, एनिमल्स और प्लांट से जुड़े सवाल शामिल होते हैं। ट्रेंड के अनुसार इसके अलावा वॉटर और ट्रैवल के सवालों की संख्या भी बढ़ी है। फूड और शेल्टर टॉपिक्स के बेसिक्स क्लियर होना बहुत जरूरी है। वहीं एन्वायरनमेंटल पेडागोजी के लिए कॉन्सेप्ट ऑफ एन्वायरनमेंट, सीसीई, एक्सपेरिमेंट, प्रैक्टिकल वर्क और लर्निंग प्रिंसिपल्स प्रमुख टॉपिक्स हैं।


ऐसे करें पेपर 1 और पेपर 2 की साथ तैयारी
पेपर 1 और पेपर 2 में तीन सेक्शन कॉमन हैं, जिनकी तैयारी साथ में की जा सकती है। ये हैं चाइल्ड डेवलपमेंट पेडागोजी, लैंग्वेज 1, लैंग्वेज 2 और मैथ्स। पहली बार में ही आप एनसीईआरटी के आठवीं कक्षा तक के सिलेबस के जरिए इन टॉपिक्स को पूरा कर लेते हैं, तो आपकी दोनों पेपर्स के तीन-तीन सेक्शंस पर मजबूत पकड़ हो जाएगी।


अंतिम सेक्शन का चयन कैंडिडेट को विषय के अनुसार करना होता है। इसमें 20 सवाल पेडागोजी के और 40 सवाल विषय से संबंधित होते हैं। मैथ्स में अधिकतर सवाल एल्जेब्रा, ज्योमेट्री से पूछे जाते हैं। वहीं साइंस में फूड, लिविंग किंगडम, एनिमल किंगडम जैसे टॉपिक्स की इनडेप्थ स्टडी जरूरी है। सोशल स्टडीज में हिस्ट्री, ज्योग्राफी, सिविक्स का बराबर वेटेज होता है।


स्कूली स्टूडेंट्स को लेकर सकारात्मक रहें
सीटेट 2019 क्वालिफाय करने वाले राकेश कुमार भारती का मानना है कि पेडागोजी के सवालों के जवाबों को रटना लगभग नामुमकिन होता है। इसका सबसे बेहतर तरीका स्कूली स्टूडेंट्स के नजरिए से सोचने की कोशिश है। साथ ही स्टूडेंट्स के प्रति अपना रुख सकारात्मक रखें। पेडागोजी के सवालों के चारों विकल्प सही जैसे ही लगते हैं, इनमें कैंडिडेट्स की सकारात्मकता का आकलन किया जाता है।


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